बुद्ध मत मे नारिया

download (2)अम्बेडकर वादी कहते है की नारियो का सम्मान सिर्फ बुद्ध मत ही करता है जबकि हिन्दू वैदिक मत मे नारियो पर अत्याचार होते थे …ओर सती प्रथा ओर बाल विवाह आदि अन्य कुप्रथाए हिन्दुओ द्वारा चलयी गयी….लेकिन कई वैदिक विद्वानों ,आर्य विद्वानों द्वारा इसका संतुष्ट जनक जवाब दिया जाता रहा है ,,,

जैसे सीता जी की अग्नि परीक्षा पर ,सती प्रथा पर(*इस पेज पर भी एक पोस्ट इसी से सम्बंधित है )
लेकिन दुर्भावना से ग्रसित लोग आछेप करते रहते है ।
ओर वो भी कुछ प्रक्षेप को उठा कर ये लोग आक्षेप करते है ,,जैसे की मनुस्म्रती पर भी …जबकि मनुस्म्रति मे लिखा है :- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।

अर्थात जहा नारियो की पूजा (सम्मान) होता है..वहा देवता निवास करते है..जहा नारियो का सम्मान नही होता वह सभी कर्म विफल होते है…लेकिन फिर भी ये लोग प्रक्षेप उठा कर यहाँ भी आरोप लगा देते है ..
इसी तरह ऋषि यागव्ल्क्य पर भी आरोप लगाते है । कि एक प्रश्न पूछने पर ॠषि ने गार्गी को मारने की धमकी दी..
खैर अब यहाँ इनके लगाये आरोपों की समीक्षा न कर,,,इनके प्रिय बुद्ध के विचार भी बता देना चाहता हु कि नारियो के बारे मे महात्मा बुद्ध के क्या विचार थे :-
 विनय पीतका के कुल्लावग्गा खंड के अनुसार गौतमबुद्ध ने कहा था की “नारी अशुध, भ्रष्ट और कामुक होती हैं.” ये बात
भी   साफ – साफ लिखी गई है की वो “शिक्षा ग्रहण” नही कर सकती..

अब बताये क्या बुद्ध मत नारियो के बारे मे जहर नही उगलता है।
(१) वेदों की कई मन्त्र द्रष्टा ऋषिय मे से ३० महिलाये है ..
 
(२) बुद्ध मत मे २८ बुद्ध है लेकिन एक भी बुद्ध स्त्री या शुद्र नही है,,जबकि पौराणिको मे देवताओ के साथ 
 साथ देविया भी है ,,
 
उपरोक्त सभी बातो से स्पष्ट है कि बुद्ध मत नारी जाती का सम्मान नही करता है ,,बस दिखावा करता है …  

9 thoughts on “बुद्ध मत मे नारिया”

  1. हा..हा…हा
    हो…हो..हो..
    हा….हा..हा..
    महोदय,
    बुद्ध बनाए या गढ़े नहीं जाते, बुद्ध होना स्वयं व्यक्ति के हाथ में है। कोई नारी उस दिशा मेंं पग बढ़ाएगी तो वह भी बुद्ध हो जायेगी। आपका मंगल हो!

    1. श्रीमान जीं, हा…… हा………ही……..ही……..करके गले का बहुत व्यायाम कर लिया l अब थोडा और विस्तार से पढ लिया जाय? 👇 👇 👇

      स्वयं भगवान बुद्धद्वारा की गई आत्यंतिक स्त्रीनिंदा

      (ये सब बौद्ध मत के मान्य ग्रंथों से ही लिया गया है l राहुल सांकृत्यायन, कौसल्यायन आदि आदि ने जो लिखा वहाँसेही प्रमाण दिये है l)

      👉१:- स्त्री वर्ग संतापी, ईर्ष्यालु, मूर्ख, मत्सरी और बुद्घिहीन है।

      (अंगुत्तरनिकाय- चक्कतुनिपात)

      👉स्त्रियां धूर्त,झूठी,कारस्थानी, अप्रामाणिक,गुप्त व्यवहार करने वाली है। ”
      (जातककथा ६२/१९२)

      👉३:-“भिक्षुओं! काले सांप में पांच दुर्गुण हैं अस्वच्छता, दुर्गंध, बहुत सोने वाला,भयकारक और मित्रद्रोही(विश्वासघाती)। ये सारे दुर्गुण स्त्रियों में भी हैं। वे अस्वच्छ,दुर्गंधयुत,बहुत सोने वाली,भय देने वाली और विश्वासघाती है।”

      (अंगु.पांचवा निपात,दीपचारिका वग्गो,पठण्हसुत्त ५/२३/९)

      **स्त्रियां नरकगामी हैं**

      👉१:- अधिकतर स्त्रियों को मैंने नरक में देखा है। उसके तीन कारण हैं जिससे स्त्रियां नर्कगामी बनती हैं l

      -वो पूर्वाह्न काल में, सुबह, कृपण और मलिन चित्त की होती है।

      -दोपहर में मत्सर युक्त होती हैं।

      -रात को लोभ और काम युक्त चित्त की होती है।

      (संयुक्तनिकाय,मातुगामसंयुत्त, पेयाल्लवग्गो,तीहिधम्मोसुत्त ३५/१/४)

      **स्त्रियों को बुद्ध बनने का अधिकार नहीं है**

      👉१:- स्त्री कभी भी बुद्ध नहीं बन सकती।

      (पाली जातक ,अट्ठकथानिदान,निदानकथा १९)

      *वैदिक मान्यता में स्त्रियाँ ऋषियों के समान ऋषिका भी हैं.

      👉२:- स्त्री बुद्ध नहीं बन सकती। केवल तभी बन सकती है जब पुरुष का जन्म ले ले। स्त्री चक्रवर्ती सम्राट भी नहीं बन सकती । केवल पुरुष ही राजा बन सकता है। केवल पुरुष ही शक्र,मार,ब्रह्मा बन सकता है।

      (अंगुत्तरनिकाय, एककनिपात,असंभव वग्गो,द्वितीय वर्ग, १/१५/१)

      **बौद्ध धम्मसंघ में स्त्रियों की स्थिति**

      👉१:- स्त्री को संन्यास लेने की शर्त बताते हुये बुद्ध कहते हैं कि-

      -भले ही भिक्षुणी सौ साल की ही क्यों न हो,अपने से छोटे उम्र के भिक्षु को नमस्कार करेगी। उसके आते ही उठ जायेगी।

      -किसी भी स्थिति में स्त्री भिक्षु का अनादर न करे,न उसको अपशब्द कहे।

      -भिक्षु को कोई भिक्षुणी कभी भी उपदेश न करे। भिक्षु ही भिक्षुणी को उपदेश दे सकता है।

      (अंगुत्तरनिकाय, आठवां निपात,गोतमीवग्गो,गोतमीसुत्त)

      👉२:- बुद्ध मना कर देते हैं कि भिक्षु अपने से बड़ी आयु की भिक्षुणी को नमस्कार करे,आदर करे।

      ( विनयपिटक, चुल्लवग्गो,भिक्षुणी स्कंधक पेज ५२८, राहुल सांकृत्यायन)
      **स्त्रियों की निंदा**

      👉१:- स्त्रियां पुरुष का मन विचलित करती हैं।स्त्री का गंध,आवाज,स्पर्श विचलित करता है। स्त्री मोह में डालती है।

      (अंगुत्तरनिकाय एककनिपात रुपादिवर्ग १)

      👉२:- जब भिक्षु भिक्षापात्र लेकर जाये,कोई कन्या या युवती दिखे तो कोई और भिक्षु उसके साथ होना चाहिये ।

      (संयुक्तनिकाय २०-२०)

      👉३: *- स्त्री मार का बंधन है यानी बुरी शक्ति है। जिसके हाथ में तलवार हो,पिशाच हो,विष देने वाला हो,उससे बात कर लो। पर स्त्री से कभी मत बोलो।

      (अंगुत्तरनिकाय पांचवानिपात,विवरणवग्गो मातापुत्तसुत्त ५/६/५)*

  2. mera lekhekh se kahana hai sanatan dharm accha hai to mahabharat me pach pandav me ek hi nari thi ramayan me to sita ko agniparisha deni padi

    1. द्रोपदी के बारे में आपका कथन असत्यः है बंधुवर
      आप नीचे दी हुए लिंक देखें

  3. JAYA PRAKASH BANDHOO, HA..HA.. KARKE CHIDIYAA BHAGAANE KAA JAISAA AASAAN NAHIN HAI YEH BAAT SAMAJHNAA. JARAA MASTISHK AUR AANKHON ME LAGAA ANDH-SHRADDHAA KAA PATTI KHOLO AUR DEKHO SAB DUDH KAA DUDH PAANI KAA PAANI SAAF HOJAAYEGAA. PURE ASHIYAA ME BUDDHA MAT KAISE PHAILAAYAA GAYAA THAA AUR FIR KAISE AUR KYUN LOP GOGAYAA ??? MAI NIVEDAN KARTAA HOON KI ITIHAASH KO PADHO AUR SAMJHO…THIK HAI..?

  4. जनाब ..,
    आप कितने बार ऊँगली दर्शन करोगे समझ में नही आता है…?
    जब जब आप किसी अन्य धर्म पर ऊँगली दर्शक बाते करते फिरेंगे तब तब आप अपनी तरफ की बची उंगियो को जवाब नही दे पावोगे , इस लिए समय के साथ चलते बनिए और स्वीकार कर लीजिए वैदिक धर्म में गलतियां है . यहाँ के 25 करोड़ मुस्लिम वैदिक धर्म की गलतियों का नतीजा है, 25 करोड़ वंचित , दलित जातीया वैदिक धर्म पर कलंक है .

    जब वेद्,मनुस्मृति ,रामायण,महाभारत,मानस,गायत्री मन्त्र इत्यादि बात आती है तब आप प्रशिप्त का हवाला दे कर बच निकल जाते है , अरे…,
    भाई.., प्रशिप्त का प्रमाण कितना है .
    बौद्ध मत में प्रशिप्त का प्रमाण नगग्न्य है .उसे प्रशिप्त माना जा सकता है पर मनुस्मृति के ढेर सारे विकृति को प्रशिप्त कैसे कहा माना जा सकता है . बल्कि मनु के एखाद नैतिक मूल्यों को प्रशिप्त माना जा सकता है .
    मनु का ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यते …’
    प्रशिप्त है, क्योंकि अन्य भेदभाव पूर्ण मनु का कथन निरन्तर घटिया है .

    विशिल: काम वृतोवा गुणैर्वा परिवर्जित |
    उप चर्य स्त्रियां साध्वा सततं देव वत्प् ति||१-५-१५४

    यदि किसी स्त्री का पती किसी अन्य स्त्री से संबंध रखता है या विद्द्या दी गुणोंसे युक्त नही है तो भी सद्गुणी स्त्री ने उसे देवता समान मान कर पूजा करनी चाहिए.
    मुझे बताए अगर कोई स्त्री किसी पुरुष पर ऐसा ही व्यवहार की अपेक्षा करे तो क्या उस का पती उस (पत्नी) स्त्री की पूजा कंरेगा..??

    मुझे लगता है नैतिक मूल्यों में भेदभाव करना मनु की खासियत है.
    अविडंसमल लोके विद्वांसमपि बा पुनः|
    प्रमदा हयुतपथं नेतुं काम क्रोध वशानुगम् ||२-२१४
    काम क्रोधके अधीनस्त पुरुष मुर्ख हो चाहे विद्वान ,उसे कुमार्ग पर लाने के लिए स्त्री मात्र समर्थ है.
    शय्या सनम लंकार काम क्रोध मनार्जवम् |
    द्रोह भाव चकुर्या च स्त्रिम्यो मनु रकल्पयन्त||

    शय्या, आसन,आभूषण ,काम,क्रोध,कुटिलता,द्वेषभाव और दुराचरण के लिए ही मनु ने स्त्रियों को सृष्टि के आरंभ से ही बनाया है.

    1. जनाब आपके सारे कमेंट काजवाब नहीं दे पा रहा | इसका कारण यह है की आप बहुत ज्यादा कमेंट करते हो | हमारे पास इतना समय नहीं की सब कमेंट का जवाब दिया जा सके | वेद में मिलावट नहीं की जा सकती | और इसके अलावा जो है स्मृति रामायण महाभारत इत्यादि यह सब इतिहास है जिसमे मिलावट कर दी गयी और उसे स्वीकार करते हैं क्या आप इस बात को स्वीकार करते हो की धम्मपद सब में मिलावट नहीं की गयी ? हमें मजबूर ना करे की बौध मत पर समीक्षा करने लगु | बौध का पोल खोल करना शुरू कर दू | अरे हम तो स्वीकार करते हैं मिलावट की गयी मगर आप लोगो को स्वीकार करने में भी हालत ख़राब हो जाएगी और उसे मना कर देते है | और आप जैसे लोगो से जो सत्य को ना समझे उसके कमेंट को जवाब देना सही नहीं | अम्बेडकर ने खुद बोला भारतीय संविधान को जला देना चाहिए मगर इस बात को आप स्वीकार नहीं करोगे | आप बोलोगे यह सब बात गलत है | आपमें इतनी क्षमता नहीं की आप सत्य को स्वीकार कर सको हमारे जैसे |

      जनाब मनुस्मृति में १-५-१५४ ऐसा कोई श्लोक नहीं | और हां मनु का २ २१४ का जिक्र किया है वह बात बहुत हद तक सही होता है जो काम (विलासिता ) में होता है वह औरत को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है इसी कारण जो काम से युक्त होते हैं वह खून तक कर डालते हैं | बलात्कार कर देते हैं इसमें औरत का कोई योगदान नहीं होता उसमे उस आदमी का योगदान होता है जो अपने काम को नहीं संयम कर सकता | और क्रोध तो किसी की बुधि को खा ही जाती है | और क्रोध में कोई किसी का मृत्यु भी कर देता है |
      थोडा अर्थ को समझे जनाब | आप जैसे आंबेडकरवादी लोग अपने दिमाग का इस्तेमाल करना तो छोड़ दिया है | थोडा दिमाग का इस्तेमाल कर लिया करो | इस्वर आपको बुधि प्रदान करे

  5. जनाब …,
    आप एक ही बात को पकड़ के रखते है . आपके सन्स्कारों ने आप को इतना जकड़ के रखा है की आप अंबेडकर जी के बारे में तनाव मुक्त होना ही नही चाहते है.
    अंबेडकरजी के वंचित ,शोषित समाज के योगदान पर दुनिया उन्हें सलाम करती है .दुनिया बाबासाहब जी के विचारो पर अमल करने को उतारू है , उनमे विचारो के ऊपर रिसर्च हो रही है, अमेरिकाने उनके आर्थिक विचार अपना लिये है.
    पर आपको तो एक ही बात याद है उन्होंने संविधान जलाने को कहा था! बस..!
    अरे भाई…, थोड़ा विवेक जगाव , तर्क बुद्धि को समझो उन्होंने ऐसा क्यों कहा ??? आगे पीछे का सन्दर्भ देख लो .
    वह आप करेंगे नही क्योंकि किसी ने सच कहा है – मनुवाद विवेक वाद का दुश्मन है.

    विडम्बना है …
    वंचित समाज से आप पूरी तरह संवेदना हिन् बन चुके है . ‘मारीच झपि’ जैसे दलित नरसंहार को आप याद करना नियत के साथ बेई मानी समझते है .

    1. जनाब हम सत्य को स्वीकार करते हैं असत्य को स्वीकार नहीं करते | आप शुद्र कौन आंबेडकर साहब का पढ़ो और बताओ क्या लिखा है उन्होंने | आंबेडकर साहब को उस मुकाम तक पहुचाने में किसका हाथ है यह भी पढ़ो | जानकारी कुछ नहीं इतिहास की और अम्बेडकरवादी वाले अपने लक्ष्ण दिखा देते हो सत्य को स्वीकार नहीं करेंगे | कुछ कमेंट किया है वेद के बारे में उसका जवाब समय मिलने पर दिया जाएगा आपका |अरे जनाब यह भी स्वीकार करो हम जात पात नहीं मानते | मगर आप जैसे लोग इस बात को नहीं समझोगे | बहुत जल्द मनुस्मृति की प्रमाणिक साईट आएगी उसे पढ़ना आँखे खोलकर सत्य की जानकारी ह जायेगी | मगर आप भी मुस्लिम भाई की तरह अल तकिया करने लगोगे |

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