क्या शंकराचार्य जी ने बोद्ध धम्म को भारत से नष्ट करा था ?

अक्सर हम सुनते है बोद्धो ओर सनातनियो से की शंकराचार्य जी ने भारत से बोद्ध धम्म को खत्म किया | कुछ लोग इसे शास्त्रार्थ द्वारा बताते है ,लेकिन माधव शंकर दिग्विजय में राजा सुधन्वा आदि की सेना द्वारा उनका संहार करने का वर्णन है .. क्या शंकराचार्य जी की वजह से बोद्ध धम्म का नाश हुआ ..क्या शंकराचार्य जी ने हत्याये करवाई इस विषय में हम अपने विचार न रखते हुए एक महान बोद्ध पंडित राहुल सांस्कृत्यन जी की पुस्तक बुद्ध चर्या के प्रथम संस्करण १९३० की जिसका प्रकाशन गौतम बुक सेंटर दिल्ली से हुआ के अध्याय भारत में बोद्ध धम्म का उथान और पतन ,पेज न १०-११ से उधृत करते है –
इसमें बोद्धो के पतन का कारण तुर्की आक्रमण कारी ओर उनका तंत्रवाद को प्रबल प्रमाणों द्वारा सिद्ध करते हुए शंकराचार्य विषय में निम्न पक्ष रखते है –

” एक ओर कहा जाता है ,शंकर ने बोद्धो को भारत से मार कर भगाया और दूसरी ओर हम उनके बाद गौड़ देश में पालवंशीय बोद्ध नरेशो का प्रचंड प्रताप फैला देखते है ,तथा उसी समय उदन्तपूरी और विक्रमशीला जेसे बोद्ध विश्वविद्यालयों को स्थापित देखते है | इसी समय बोद्धो को हम तिब्बत पर धर्म विजय करते भी देखते है | ११ वि सदी में जब कि ,उक्त दंत कथा अनुसार भारत में कोई भी बोद्ध न रहना चाहिए , तब तिब्बत से कितने ही बोद्ध भारत आते ओर वे सभी जगह बोद्ध ओर भिक्षुओ को पाते है | पाल काल के बुद्ध ,बोधिसत्व ओर तांत्रिक देवी देवताओं की गृहस्थो हजारो खंडित मुर्तिया उतरी भारत के गाँव तक में पायी जाती है | मगध ,विशेष कर गया जिले में शायद ही कोई गाँव होगा ,जिसमे इस काल की मुर्तिया न हो (गया -जिले के जहानाबाद सब डिविजन के गाँव में इन मूर्तियों की भरमार है ,केस्पा .घेजन आदि गाँव में अनेक बुद्ध ,तारा ,अवलोकितेश्वर आदि की मुर्तिया उस समय के कुटिलाक्षर में ये धर्मा हेतुप्रभवा …..श्लोक से अंकित मिलती है ) वह बतला रही है कि उस समय किसी शंकर ने बोद्ध धम्म को नस्तनाबुत नही किया था | यही बात सारे उत्तर भारत से प्राप्त ताम्र लेखो ओर शिलालेख से मालुम होती है | गौडनपति तो मुसलमानों के बिहार बंगाल विजय तक बोद्ध धर्म और कला के महान संरक्षक थे ,अंतिम काल तक उनके ताम्र पत्र बुद्ध भगवान के प्रथम धर्मोपदेश स्थान मृगदाव (सारनाथ ) के लांछन दो मृगो के बीच रखे चक्र से अलंकृत होते थे | गौड़ देश के पश्चिम में कन्याकुब्ज राज था ,जो कि यमुना से गण्डक तक फैला था | वहा के प्रजा जन और नृपति गण में भी बोद्ध धम्म का खूब सम्मान था | यह बात जयचंद के दादा गोविंदचद्र के जेतवन बिहार को दिए पांच गाँवों के दानपात्र तथा उनकी रानी कुमारदेवी के बनवाये सारनाथ के महान बौद्ध मन्दिर से मालुम होती है | गोविंद चन्द्र के बेटे जयचन्द्र की एक प्रमुख रानी बौद्धधर्मावलम्बिनी थी ,जिसके लिए लिखी गयी प्रज्ञापारमिता की पुस्तक अब भी नेपाल दरबार पुस्तकालय में मौजूद है | कन्नौज में गहडवारो के समय की कितनी ही बोद्धमुर्तिया निलती है ,जो आज किसी देवी देवता के रूप में पूजी जाती है |
कालिंजर के राजाओ के समय की बनी महोबा आदि से प्राप्त सिंहनाद अवलोकितेश्वर आदि की सुंदर मुर्तिया बतला रही है कि .तुर्कों के आने के समय तक बुन्देलखंड में बोद्धो की संख्य काफी थी | दक्षिण भारत में देवगिरी के पास एलोरा के भव्य गुहा प्रसादों में भी कितनी ही बोद्ध गुहये ओर मुर्तिया .मालिक काफूर से कुछ पहले तक की बनी हुई है | यही बात नासिक के पांडववेलिनी की गुहाओ के विषय में है | क्या इससे सिद्ध नही होता कि .शंकर द्वारा बोद्ध का निर्वसन एक कल्पना मात्र है | खुद शंकर की जन्मभूमि केरल से बोद्धो का प्रसिद्ध तन्त्र मन्त्र ग्रन्थ ” मंजूष मूलकल्प संस्कृत में मिला है ,जिसे वही त्रिवेन्द्रम से स्व महामहोपाध्याय गणपतिशास्त्री जी ने प्रकाशित कराया था | क्या इस ग्रन्थ की प्राप्ति यह नही बतलाती कि ,सारे भारत से बोद्धो का निकलना तो अलग केरल से भी वह बहुत पीछे लुप्त हुए है | ऐसी बहुत सी घटनाओं ओर प्रमाण पेश किये जा सकते है जिससे इस बात का खंडन हो जाता है |
राहुल जी की इस बात से न्व्बोद्धो ओर कुछ सनातनियो की इस बात का खंडन हो जाता है कि शंकराचार्य जी ने भारत से बोद्ध धम्म को नष्ट किया ..माधव दिग्विजय एक दंत कथा मात्र है | बोद्ध धम्म भारत से बोद्धो के अंधविश्वास ओर तुर्क आक्रमण कारियों के कारण नष्ट हुआ ,,,

 

9 thoughts on “क्या शंकराचार्य जी ने बोद्ध धम्म को भारत से नष्ट करा था ?”

  1. bodhh dharam bhi vedik sanatan dharm ke antergat hi ek shudhh marg tha jaise swaami Daya Nand ne arya smaj aur styarth parkash me vedik sanatan dharm ko prtishthapit kiya…Budh ne koyee nayee baat nahi kahi …..
    ved sab granthho ka mool hain lekin aam janta use parh nahi sakti

    1. भगवान् बुद्ध तो स्वयं वैदिक धर्म को ही मानते थे
      कुछ बातों में वो सहमत नहीं थे क्योंकि वेदों का अध्ययन नहीं था
      अन्यथा बातें तो वैदिक ही करते थे

  2. PYAARE SUNIL BANDHU,
    JARAA YEH TO BATAAIYE GAUTAM BUDDHA KAUNSAA DHARMA MAANTETHE? YAA NI SIDDHARTH GAUTAM KE PITAA-MAATAA AUR UNSE PURV KAUNSAA DHARMA THAA DUNIYAA MEN?
    ADHYAYAN KARO BHAAI…..ADHYAYAN…BUDDHI BADHAAO…THIK HAI?

    1. Bhai shaahab bhagwan buddha se pahale bhi boddh dharam tha bhagwan budh 25ve Buddha the. Buddha Stup banane ki prampara kewal Boddh Dharam mein hai. Duniya ki sabase purani sabhyata Harappa Sabhyata (muhan judaro )mein Suddha Stup aap dekh sakate hai. Boddha dharam ki suhuvat Gautam Buddh se nahi balki Buddha se hui . Buddha ke nirvan ke bad unka stup banavane ki prampara hai. shukar hai ye stup Pakistan mein hai nahi to Brahaman Dharam ke log ise bhi tor dete kiyon ki pahale Bhraman Dharam tha. jo shankra charya ne 84 Dharamo ko jor kar Hindu dharam ki rachan ki . kiyonki boddh dharam mein lekhan ki prampara nahi thi aur buddha ne bhi kabhi apane gyan ko likha nahi . Buddha ke nirvan ke baad boddh Bhikshuo ne Dhammapad aadi granth likHe. Dhammpad ki rachana isa se 300 saal pahale hui sur Gita ki rachana, Purano ki rachan bhi bahut baad mei hui. shankra charya KA ITIHAAS PAROGE TO SAB SAMAJH MEIN AA JAYEGA KESE RAJA SINDHWA KE SATH MILKAR BODDH DHARAM KO NASHT KARVAYA AUR BODH MATHO KO TOR KAR CHAR MATHO KI STHAPANA KI.

      1. गौतम इतना अधिक भांग मत खाया करो। तुम पता नहीं कौन सा इतिहास पढ़े हो जिसमें यह सब लिखा है जो तुम बता रहे हमने तो इतिहास घोट डाला पर इसमें से एक बात भी नहीं लिखी मिली। इसलिए मित्रवत सलाह है की नशा करना छोड़ दो और ढंग का साहित्य पढ़ो तब शायद कुछ अक्ल आ जाए और यही सलाह इस लेख को लिखने वाले लेखक महाशय के लिए भी है जिन्होंने शंकराचार्य जी के महत्व को समझा ही नहीं और कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा वाली कहावत चरितार्थ कर दी।

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